बेंगलुरु की गंदगी पर फूटा किरण मजूमदार शॉ का गुस्सा – BBMP को सुनाई खरी-खोटी
बेंगलुरु, जिसे भारत का टेक हब कहा जाता है, एक बार फिर से नागरिक सुविधाओं की बदहाली को लेकर सुर्खियों में है। इस बार मामला शहर में सड़कों पर फैले कचरे को लेकर है, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस गंभीर स्थिति को उजागर किया बायोकॉन की चेयरपर्सन और जानी-मानी उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ ने। उन्होंने नगर निगम BBMP (Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे ‘terrible civic sense’ करार दिया।
कचरे का ढेर और श्मशान के पास गंदगी
घटना बेंगलुरु के एक कब्रिस्तान के पास की है, जहां कचरे का एक बड़ा ढेर जमा हो गया था। स्थानीय नागरिकों और राहगीरों ने इस गंदगी से होने वाली दुर्गंध और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की शिकायतें कीं। लेकिन BBMP की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
किरण शॉ ने इस दृश्य को देखने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी और BBMP को टैग करते हुए तुरंत सफाई अभियान चलाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति बेंगलुरु की छवि को धूमिल कर रही है।
नागरिक चेतना और सरकारी उदासीनता पर सवाल
किरण शॉ ने केवल नगर निगम ही नहीं, बल्कि आम लोगों की नागरिक चेतना (Civic Sense) पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब तक नागरिक खुद स्वच्छता को प्राथमिकता नहीं देंगे और खुले में कचरा फेंकना बंद नहीं करेंगे, तब तक ऐसी समस्याएं खत्म नहीं हो सकतीं।
उनका यह बयान लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है और कई लोग उनसे सहमति जता रहे हैं कि सरकार और जनता, दोनों को मिलकर सफाई व्यवस्था को सुधारना होगा।
BBMP की प्रतिक्रिया और सफाई का वाद
इस ट्वीट के वायरल होने के बाद BBMP ने सफाई कर्मचारियों को मौके पर भेजकर वहां से कचरा हटवाया। हालांकि यह केवल एक अस्थायी समाधान माना जा रहा है, क्योंकि समस्या की जड़ अस्थाई सफाई नहीं, बल्कि स्थायी प्रबंधन और जवाबदेही की कमी है।
BBMP अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे इस क्षेत्र की नियमित निगरानी करेंगे और भविष्य में इस तरह की स्थिति न हो, इसके लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं।
स्वच्छ भारत मिशन की ताजा रिपोर्टों में बेंगलुरु की स्वच्छता रैंकिंग में गिरावट देखी गई है। यह चिंता का विषय है क्योंकि एक ऐसा शहर जो देश का इनोवेशन सेंटर माना जाता है, वह बुनियादी नागरिक सुविधाओं में पिछड़ रहा है।
इसके पीछे कारणों में शामिल हैं – अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन, खुले में डंपिंग, अपशिष्ट का सही ढंग से निष्पादन न होना, और कर्मचारियों की कमी।
समाधान क्या हो सकता है?
इस गंभीर स्थिति से उबरने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है:
1. कचरा प्रबंधन के लिए स्मार्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
2. नागरिकों में जागरूकता अभियान
3. कठोर दंड और फाइन सिस्टम लागू करना
4. क्षेत्रवार निगरानी टीम बनाना
5. कचरा निपटान की प्रोसेस को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना
किरण मजूमदार शॉ की सार्वजनिक प्रतिक्रिया ने बेंगलुरु की स्वच्छता व्यवस्था की पोल खोल दी है। जब तक सरकार और नागरिक दोनों मिलकर ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे, तब तक ऐसे दृश्य शहर की साख को लगातार गिराते रहेंगे। यह समय है कि हम सभी अपनी जिम्मेदारी समझें और स्वच्छ और स्वस्थ भारत की दिशा में एकजुट होकर प्रयास करें।